PRESS RELEASE

५ फ़रवरी २०२१

भारत की एकमात्र स्वतंत्रतावादी राजनीतिक संगठन स्वर्ण भारत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किसान सुधारो की समीक्षा समिति से मिलकर अपने सुझाव दिए ।

पार्टी के सुझाव इस मुलाक़ात से पहले ३१ जनवरी २०२१ को लिखित रूप में दिए जा चुके है http://swarnabharat.in/farmers पर उपलब्ध है ।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय गर्ग ; उत्तर प्रदेश इकाई के प्रतिनिधि रबिकांत भारती और तेलंगाना राज्य के प्रदेश अध्यक्ष राहुल पंडित ने समिति के सदस्यों से मुलाक़ात किया ।

कमेटी से मीटिंग में श्री संजय गर्ग ने लाल बहादुर शास्त्री के लिए नारे जय जवान जय किसान को याद करते हुए कहा कि जो सम्मान हम अपने सैनिकों को देते हैं वही सम्मान हमें किसानों को देने की आवश्यकता है

उन्होंने आगे बोला कि भारत के सभी संस्थानों को किसी भी तरह के  लोकतांत्रिक  विरोध की आवाज को दबाना नहीं चाहिए भारत के लोकतंत्र की विविधता को देखते हुए यह जरूरी है कि वर्तमान सरकार अभी लागू किए गए किसान कानूनों को तुरंत वापस ले और एक आपस मैं बातचीत वाले तरीके को अपनाएं

संजय गर्ग ने कहा कि अगर किसानों के प्रति सहानुभूति और किसानों की मांगों को बिना समझे हुए किसी भी तरह के सुधार वाले कानूनों को लागू किया जाता है तो इससे फायदे से अधिक नुकसान होने की संभावना है और हमारा कृषि क्षेत्र कई दशकों के लिए पीछे जा सकता है

श्री गर्ग ने आगे कानूनों के बारे में बात करते हुए कहा कि पिछले 70 सालों से भारत की स्वतंत्रता वादी शक्तियां राजनैतिक संगठन किस प्रकार के कानूनों की मांग करते रहे हैं और सिद्धांत तक मोदी सरकार के द्वारा किए गए यह जो सुधार हैं उनका समर्थन करते हैं

कृषि सुधारों की द्वारा जो व्यापकता है उसको देखते हुए यह बहुत आवश्यक है कि कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए सारे घटकों को विश्वास में लिया जाए और वर्तमान सरकार द्वारा बिना किसी आपस की बातचीत के इन सुधारों को लागू किए जाने से बहुत ही अधिक विरोध की आवाज सुनाई पड़ी है

श्री गर्ग ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा अब 18 महीनों के लिए इन सुधारों से संबंधित आगे की बातचीत के लिए जो समय तय किया गया है उसको देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि आप इन सुधारों को इन्हीं रूप में लागू करना लगभग असंभव होगा यह 18 महीने का समय और अधिक घटकों को आपस में बातचीत और समझौते के रास्ते से इस्तेमाल किया जाना चाहिए

सरकार द्वारा इन सुधारों को एकतरफा ढंग से लागू किए जाने की वजह से यह सुधार अब उच्चतम न्यायालय की शरण में है और सुप्रीम कोर्ट भी इनके बारे में अब निर्णय लेता हुआ प्रतीत होता है

स्वर्ण भारत पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री संजय गर्ग ने इन कानूनों को वापस लेते हुए मोदी सरकार को आगे अपना सुझाव दिया कि श्वेत पत्र तुरंत इस मसले को लेकर के जारी किया जाए और लॉन्ग टर्म लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए सरकार को सारे घटकों को विश्वास में लेते हुए देश की जनता को विश्वास में लेते हुए कृषि क्षेत्र में छोटे-मोटे सुधारों के अतिरिक्त पूर्ण रूप से आजादी स्वतंत्रता लाने वाले सुधारों के ऊपर एक उचित कदम लिया जाना चाहिए

कमेटी के साथ मीटिंग के साथ श्री गर्ग ने इस बात पर भी चिंता जाहिर की कि इस प्रकार के कदमों से शक्ति संतुलन को भी खतरा महसूस होता है और न्यायपालिका और विधि पालिका के बीच के संतुलन को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आगामी सुधारों के लिए हमेशा संसद समाज के विभिन्न घटक और उनसे प्रभावित होने वाले आम जनों को बातचीत के जरिए ही इस प्रकार के व्यापक कानूनों में बदलाव की आवश्यकता होती है

कृषि कानूनों के संबंध में उन्होंने तीन कदम में अपनी बात कही पहला नीतियों से संबंधित एक परिपत्र जारी किया जाए दूसरा समाज के सभी घटकों के साथ सलाह मशविरा किया जाए तीसरा एक 10 सूत्रीय कार्यक्रम बनाया जाए जैसा कि हमारी पार्टी हमेशा इस प्रकार के किसी भी नीतिगत मसलों में करती आई है

स्वर्ण भारत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इन तीन कृषि कानूनों के संबंध में 8 प्रस्तावित सुधारों के बारे में किसानों की मांग का समर्थन करते हुए उन मांगों को सही परिपेक्ष में परीक्षण करने के लिए कहा और पार्टी ने अपने सुझाव पत्र में यह विकल्पों का जिक्र भी किया है

स्वर्ण भारत पार्टी का ऐसा मानना है कि इस समय इन सुधारों को लागू करना बहुत कठिन होगा और कृषि संबंधित हर तरह के कानून का पूरी समीक्षा करने की आवश्यकता है और एक श्वेत पत्र तुरंत जारी किया जाए

पार्टी के नेताओं ने कमेटी से बात करते हुए यह आशा जताई कि सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच में शीघ्र ही शांति समझौता होते हुए कृषि क्षेत्र को सही दिशा में ले जाने के लिए प्रभावी और सब को स्वीकार होने वाले कानूनों का तुरंत निर्माण किया जाएगा

स्वर्ण भारत पार्टी पूर्ण स्वतंत्र नागरिक व्यवस्था और कृषि व्यवस्था और अन्य व्यवस्थाओं को भी पूर्ण स्वतंत्रता देने का पुरजोर समर्थन करती है परंतु किसी भी प्रकार के सुधारों के पूर्व सभी प्रभावित होने वाले नागरिकों से संगठनों से पूरी पारदर्शिता के साथ चर्चा की जानी चाहिए

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