भारत में बहुत सारी समस्याएँ हैं - बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी, बाल-कुपोषण, प्रदूषण, अन्याय, इत्यादि. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की भी समस्या है.

इन सारी समस्याओँ की जड़ में है – राजनीति, और राजनेताओं की बनाई हुई नकारा-नीतियां. हमारे लोकतंत्र में जनता द्वारा चुनी हुई राजनैतिक पार्टियाँ सरकार चलाती हैं. हम सरकार चुनते हैं ताकि वह अपने मूल कार्य को करे.  तो फिर ये समस्याएं क्यों?

यह याद रखना ज़रूरी है कि सरकार को उसके मूल कार्यों पर  खर्च करने के पूरे पैसे हम देते हैं. सरकार एक किस्म से भिखारी होती है. उसका  अपना कुछ नहीं होता, ना हि वो कुछ पैदा करती है. सरकार के सारे संसाधन जनता टैक्स भर के देती है - आयकर (यानि इन्कम टैक्स), सेल्स टैक्स, रोड टैक्स, जिअस्टी, इत्यादि.

एक भिखारी भी टैक्स देता है. आप यदि किसी भिखारी को 5 रूपये भीख देते हैं और अगर वो उस पैसे से एक पैकेट बिस्कुट भी खरीदता है , तो वो टैक्स भरता है. इस प्रकार जनता के पैसों से करोड़ों रुपयों की योजनायें चलती हैं, पूरा तंत्र, सभी सरकारी नौकरों का वेतन - सब कुछ जनता के पैसे से चलता है.

जब पैसा जनता देती है, तो सही मायने में सरकार का काम जनता का नौकर का है. लेकिन आज सरकार मालिक बन बैठी है और जनता को बना दिया है सरकार का नौकर.

प्रधानमंत्री जिस बंगले में रहते हैं और जिस हवाई जहाज से चलते हैं, वो जनता के पैसे का है. डी.एम. जिस गाड़ी से चलते हैं और जिस कुर्सी पर बैठते हैं, वो जनता के पैसे का है. दरोगा जो रिवाल्वर लिए हैं और जो बिल्ला लगाये हैं, वो जनता के पैसे का है. पैसा हमारा और ये लोग हमी पर उल्टा धौंस जमाते हैं.

यह अब और नहीं चलेगा. इसे बदलना है. सरकार को एहसास दिलाना है कि उसका काम नौकर का है: जनता का नौकर.

यह जानना जरुरी है कि सरकार नौकर है, ना कि सेवक. सेवा अपनी इच्छा से होती है. आप सेवा करें या ना करें, आप की कोई जवाबदेही नहीं होती है.

लेकिन एक नौकर को पैसा दिया जाता है काम करने के लिए, और नौकर के काम की जवाबदेही होती है . इसलिए जब प्रधानमंत्रीजी अपने आप को प्रधान-सेवक कहते हैं तो वो गलत कहते हैं. वो असल में जनता के प्रधान-नौकर हैं. इन सबसे हम लोगों को जवाबदेही मांगनी होगी .

सरकार के क्या काम होते हैं, उससे जवाबदेही कैसे ली जा सकती है, ये सब हमारी पार्टी के मैनिफेस्टो में लिखा है. आइए, हम मिलकर जवाबदेह सरकार की संरचना करें.

 

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