National Press Release (English version here)
भारत की एकमात्र लिबरल पार्टी, स्वर्ण भारत पार्टी के उपाध्यक्ष आलोक कुमार ने आज कहा कि भ्रष्ट नेताओं और क्रोनी पूंजीपतियों के माध्यम से सरकार द्वारा गन्ने के किसानों को संरक्षण देनें के बहाने खुली लुटाई की जा रही है। सरकार नें बाज़ार का गला घोंट रखा है और गलत नीतियों से देश में 6 करोड़ गन्ना किसानों की रोज़ी रोटी को प्रभावित कर रखा है ।
समाजवादी कानून गन्ने और गन्ने के उत्पादों, दोनों के संचलन और मूल्य को पूर्ण रूप से नियंत्रित करते हैं । केंद्र सरकार गन्ने के "उचित और लाभकारी मूल्य"(ऍफ़ आर पी) को तय करती है जबकि राज्य सरकार "राज्य सलाह मूल्य"(एस ऐ पी) को तय करती है। परंतु सच्चाई तो यह है कि ये तय की गई कीमतें उचित होने से कोसो दूर हैं । राज्य सरकार शीरे के अंतिम उपयोग पर कोटा नियुक्त करती है और शीरे और खोई पर अंतर्राज्यीय व्यापार पर प्रतिबंध लागू करके रखती है। इस प्रकार किसानों को अपनी फसलों का सक्षम मूल्य कभी नहीं मिल पाता है ।
श्री आलोक कुमार ने गन्ने के मुख्य उत्पाद शीरे का उदाहरण दिया । शराब के उत्पाद में शीरे की अहम भूमिका उत्पादक सामग्री के रूप में होती है । जबकि शीरे का खुले बाज़ार में भाव 7000 रुपये प्रति टन का है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार मीलों को 2000 रुपये प्रति टन से ज्यादा नही बेचनें देती। बाज़ार भाव और सरकार द्वारा नियंत्रित भाव में जो अंतर है(जोकि असल में हज़ारों करोड़ों में बैठता है), उसकी भ्रष्ट नेताओं और शराब के लाइसेंस धारक के बीच में बन्दर बॉट कर ली जाती है ।
जबकि गन्ने के इस नियंत्रित भुगतान को भी किसानों को करनें में सरकार और मील मालिकों को सालों लगतें हैं, जिससे विलंभ के कारण किसानों को और अधिक नुक्सान होता है। गन्ना नियंत्रण अधिनियम 1966 के मुताबिक यदि मील किसानों को गन्ना भुगतान में 14 दिनों से ज्यादा विलंभ करतें हैं तो 15 प्रतिशत ब्याज के साथ मूल गन्ने के भुगतान का प्रावधान है लेकिन दुर्भाग्यवश गन्ना किसानों का भुगतान हमेंशा लंबित होता आया है और पिछले 20 वर्षों से आज तक उन्हें लंबित होनें के कारण तय ब्याज नहीं दिया गया है । कानून में यह भी प्रावधान दिया गया है कि जो मिलें किसानों के गन्ना भुगतान में विलंभ करतीं हैं वे संग्रह केंद्र से गन्ने को मीलों तक ढ़ोने में परिवहन शुल्क को नहीं काट सकती। लेकिन इस कानून का सदैव उलंघन होता आया है ।
श्री आलोक कुमार ने पुछा: खुले बाज़ार में सरकार की दखल अंदाजी का क्या औचित्य है?मीलों को शीरे की अधिकतम मूल्य पर बेचनें की स्वतंत्रता क्यों नहीं है जो उन्हें खुले बाज़ार में मिल सकती है ? आलोक कुमार ने कहा कि ये निन्दात्मक जनविरोधी कानूनों को हटाना होगा। कृषि का भारत में खुला बाज़ार होना आवश्यक है । स्वर्ण भारत पार्टी गन्ने और इसके उत्पादों का समस्त भारतवर्ष में खुला संचलन चाहती है और सभी क़िस्म के अंतिम उपयोग कोटे का परित्याग चाहती है ।
गन्ना उद्योग की मुक्ति से मीलो को चीनी और शीरे का उच्च मूल्य मिलेगा। इस बढ़ी हुई कीमत से मीलो और किसानों को खुले बाज़ार के ऊँचे मूल्य मिल सकेंगे। जबकि मीलो को बाज़ार से पैसा ज्यादा और समय से प्राप्त होगा जिससे वे किसानों का भुगतान तुरंत कर सकेंगे।
स्वर्ण भारत पार्टी पूर्ण भारतमें किसी भी प्रकार के नियंत्रण से मुक्ति चाहती है। यह भारत को समाजवादियों के चुंगुल से आज़ाद करना चाहती है जिन्होंने भारत को पूरी तरह तबाह कर दिया है । स्वर्ण भारत पार्टी क्रोनी पूँजीवाद व्यवस्था का भारत में पूर्णतः विनाश करनें के लिए प्रतिबद्ध है ।
Notes for Editors
SBP is India’s only liberal party, committed to defending liberty and promoting prosperity.
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